Ankylosing spondylitis एक प्रकार का गठिया सम्बंधित रोग है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति में देखा जा सकता है। 

कभी कभी यह रोग एक गंभीर रूप धारण कर लेता है, जिसकी वजह से अनेको परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जोड़ो में दर्द, सुजन,और कमर दर्द इसके शुरुवाती लक्षण है। 

अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित है तो आपके लिए यह artilce बहुत ही helpful होने वाला है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस क्या है? यह कैसे होता है? एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के अनेक लक्षण और कारण क्या है? इसका उपचार क्या है? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस article के माध्यम से मिलने वाला है इसलिए इसे अंत तक जरुर पढ़ें।

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस क्या है (What Is Ankylosing spondylitis In Hindi)

जैसा की हमने आर्टिकल के शुरुवात  में जाना यह एक प्रकार का गठिया सम्बंधित रोग है, इसमें रोग में रीढ़ की हड्डियों में दर्द के साथ तकलीफ महसूस होती है। इस तरह के रोगियों के रक्त में HLA-B27 की मात्रा बढ़ जाती है। 

इसका एक मुख्य कारण है क्लेबसियेला नमक जीवाणु का ब्लड में फ़ैलना है, जिसकी वजह से शरीर में संक्रमण फ़ैल जाता है। इस समस्या के बढ़ने पर रोगी के कमर नीचे की तरफ झुक जाती है जिसके कारण पीड़ित को चलने फिरने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

स्पॉन्डिलाइटिस कितने प्रकार के होते है ( Types of spondylitis )

स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षणों की बात करे तो इसमें असहनीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, यह लक्षण अनेक प्रकार के हो सकते है, सामान्य रूप से स्पॉन्डिलाइटिस के पांच प्रकार के होते है जिसके साथ उनके लक्षण नीचे बताए गए है।

  • एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing spondylitis): स्पॉन्डिलाइटिस के इस रूप में व्यक्ति को रीढ़ की हड्डी में सुजन तथा दर्द महसूस होता है। लम्बे समय तक रहने पर 40 वर्ष से अधिक के व्यक्ति में गंभीर रूप धारण कर सकती है। हलाकि एक्सरसाइज़ और walking की मदद से इस परेशानी में राहत पायी जा सकती है।
  •  एंटरोपैथिक गठिया (Enteropathic Arthritis) : इस तरह  के स्पॉन्डिलाइटिस में रोगी की आंतो में सुजन, पेट दर्द , वजन में कमी जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है।
  • सोरियाटिक गठिया (Psoriatic Arthritis) : इस अवस्था में रोगी के बॉडी पर लाल रंग के चकते, जोड़ो में सुजन और अकडन महसूस होती है।
  • प्रतिक्रियाशील गठिया (Reactive Arthritis) : इसमें रोगी को मूत्र मार्ग में संक्रमण, जोड़ो में, मूत्राशय की झिल्ली, जननांगो में सुजन हो जाती है।
  • किशोर स्पॉन्डिलाइटिस (Juvenile spondylitis) : यह समस्या कम उम्र के बच्चो में देखी  जाती है और शरीर के लिगामेंट और टेंडन जैसे हिस्से में सुजन बनाने लगती है।

स्पॉन्डिलाइटिस किसको हो सकता है ( Who Can get Ankylosing Spondylitis? )

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की शुरुवात 20 वर्ष की उम्र में हो सकती है, क्यूंकि इस उम्र वाले व्यक्ति अपने व्यवसाय तथा अन्य कार्यो में ज्यादा व्यस्त हो जाते है और अपने  बैकबोन जैसे पार्ट पर कम ध्यान देते है, जिसकी वजह से इस तरह की परेशानिया सामान्य रूप से किसी भी व्यक्ति में देखी जा सकती है।

यहाँ पर कुछ अन्य कारक बताये गए है, जिनकी वजह से यह समस्या किसी भी  व्यक्ति में देखी जा सकती है। 

  • पारिवारिक और अनुवांशिक कारक : 

यदि किसी व्यक्ति के घर या परिवार के किसी सदस्यों को यह समस्या है तब अनुवांशिक कारणों से यह समस्या उस व्यक्ति में भी देखी जा सकती है।

  • व्यक्ति के आयु के अनुसार यह प्रॉब्लम देखी जा सकती है :  

उम्र बढ़ने के साथ बैकबोन कमजोरी से यह समस्या देखी जा सकती है। अन्य सामान्य कारण में बढती उम्र के साथ लम्बे समय तक बिमार रहने पर यह समस्या हो सकती है।

  • शरीर में कुछ बीमारियों के कारण किसी भी व्यक्ति में यह समस्या हो सकती है : 

जिन व्यक्तियों में Ulcerative Colitis, Crohn’s Disease, Cirrhosis जैसी बीमारियों होती है उनके लिए यह सामान्य है।

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस होने पर कौन से लक्षण दीखते है? ( Ankylosing spondylitis symptoms )

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस का समबसे सामान्य लक्षण, में पीठ के निचले हिस्से में दर्द और  कड़कपन महसूस होता है। अधिक समय तक एक जगह बैठकर अपने प्रोफ़ेशन से संबंधित कार्यो को पूरा करते वक्त ऐसा होता है। आमतौर पर हिलने, डुलने और एक्सरसाइज़ करने से इस तरह के दर्द में राहत  मिलती है।

हर  व्यक्ति में एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के विभिन्न प्रकार के लक्षण देखे जा सकते है जिनके बारे में हम आगे जानेंगे-

  • पसली, घुटने, पैरो और कंधो जैसे जोड़ो में दर्द, कड़कपन और सूजन बनना ।
  • पसलियों से जुड़े शरीर के अन्य भाग प्रभावित होते है जिससे गहरी साँस लेने पर दर्द महसूस किया जा सकता है।
  • आँखों में दर्द के साथ सुजन महसूस होती है।
  • कभी कभी अधिक मात्र में थकन महसूस होती है।
  • भूख कम लगती है और शरीर का वजन कम हो जाता है।
  • पेट में हल्का दर्द और असामान्य शौच आना।
  • त्वचा पर लाल रंग के चकते देखे जा सकते है। 

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस किन कारणों से होता है? ( What causes ankylosing spondylitis? )

उम्र बढ़ने के साथ रीढ़ की हड्डियों में दिक्कते होना सामान्य बात है। आज हम यहाँ पर कुछ ऐसे कारणों के बारे में जानेंगे, जोएंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस  समस्या का कारण हो सकती है।

  • शरीर के वजन में बढ़ोतरी
  • टेंशन और अवसाद जैसे हार्मोनल कारण
  • गर्दन पर अधिक समय तक प्रेसर पड़ने पर के कारण 
  • पारिवारिक अनुवांशिक कारण
  • धुम्रपान जैसे गलत आदतों के कारण 
  • अधिक मेहनत वाले रोजगार के कारण 
  • गलत तरीके से खड़े होना, बैठने,और सोने के कारण     

डॉक्टर को कब दिखाना जरुरी हो जाता है (When is it necessary to see a doctor)

अक्सर लोगो द्वारा ऐसी समस्या को नॉर्मल समस्या समझ लिया जाता है लेकिन एक समय पर यह समस्या गंभीरता का रूप धारण कर लेती है, जो किसी भी व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकती है इसलिए आपको चिंताजनक स्थिति होने पर Dr. Anuj Chawla को जरूर दिखाना चाहिए।

अगर आपको निचे बताये गयी परेशानियों काफी लंबे समय से है, तब आप डॉक्टर को दिखा सकते है।

  • रीढ़ की हड्डी में लम्बे समय से तेज दर्द।
  • रोजमर्रा के कार्यो में ज्यादा तकलीफ महसूस होना।
  • यौन क्रियाओ में असमर्थता महसूस होने पर।
  • ज्यादा देर तक एक अवस्था में बैठने पर तकलीफ महसूस होने पर

डॉक्टर द्वारा स्पॉन्डिलाइटिस टेस्ट कैसे होता है (How is spondylitis tested by a doctor? ) 

Dr. Anuj Chawla द्वारा किसी भी स्पॉन्डिलाइटिस पीड़ित व्यक्ति की कंडीशन चेक करने के लिए अनेक प्रकार से टेस्ट किये जाते है। जिससे स्पॉन्डिलाइटिस के लेवल का पता चल पाता है। यहाँ कुछ टेस्ट प्रक्रिया बताई गयी है, आगे पढ़े।

  • शरीर के पार्ट से जुड़े टेस्ट : 

  • गर्दन के मुड़ने की अवस्था से जाँच की जाती है।
  • रीढ़ की हड्डी के साथ वाली नसों को दबाकर टेस्ट किया जाता है।
  • रीढ़ के आसपास वाली मांसपेशियों की छमता को जांचा जाता है।
  • रीढ़ के आस पास उन वाले पार्ट्स की जांच की जाती है जो सुन्न हो जाते है।
  • हांथो और पैरो की छमताओ की जांच की जाती है।
  • शरीर से जुडी कुछ महत्वपूर्ण नशों का टेस्ट :

  • इलेक्ट्रोमायोग्रफी (Electromyography) : इसमें शरीर में मौजूद तंत्रिका में इरेक्सन की मात्रा को टेस्ट किया जाता है।  इलेक्ट्रोमायोग्रफी के सिकुड़ने और नार्मल अवस्था में रहने की प्रक्रिया से टेस्ट को कम्पलीट किया जाता है।
  • नर्व कंडक्शन स्टडी (Nerve Conduction Study): इस प्रक्रिया में नसों के गतिमान रहने और उसकी तीर्वता की जांच की जाती है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट किट की सहायता ली जाती है।
  • कुछ मशीनरी टेस्ट किये जाते है : 

  • मशीनरी टेस्ट में रीढ़ की हड्डी का एक्सरे, CT Scan, MRI जैसे टेस्ट किये जाते है।  

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस का आयुर्वेदिक उपचार ( Ayurvedic treatment for Ankylosing Spondylitis )

अगर आप डॉक्टर के पास जाने में असमर्थ है, आप औषधीय उपचार भी ले सकते है। कुछ घरेलु उपायों की मदद से  एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी प्रॉब्लम में कुछ हद तक सुधार लाया जा सकता है।

आप निम्नलिखित घरेलु उपायों की मदद से कुछ हद तक राहत पा सकते है।

अवुर्वेदिक उपचार :
गुग्गुल – यह एक औषधीय पौधा है इसकी मदद से रीढ़ के आस पास होने वाले सुजन को ख़तम करता है और दर्द में राहत देता है।

करक्यूमिन – यह हल्दी की तरह का एंटीओक्सिडेंट  होता है जोकि एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से होने संक्रमण से बचाव करता है।

आवंला – आंवला कैल्शियम से भरपूर होता है, जो शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाता  है, इस तरह से यह रीढ़ की हड्डियों को भी पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करता है और मजबूत बनता है।

हरीतकी – यह एक प्रकार की वनस्पति है जिसकी मदद से पेट से सम्बंधित हर रोगों का निदान होता है और इससे शरीर का वजन कम रहता है और रीढ़ की हड्डियों के अच्छा है।

अश्वगंधा – अश्वगंधा वह औषधीय पौधा है जिसकी मदद से शरीर के विभिन्न जोड़ो के pain का निधान होता है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के दौरान होने वाली असहनीय दर्द में यह अत्यंत लाभकारी है।

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस में क्या खाना चाहिए ( What to eat in Ankylosing spondylitis )

अगर आप भी एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या से पीड़ित है तो एक कारण यह भी हो सकता है कि आपका खानपान, इस समस्या को बढ़ावा दे रहा हो। इस वजह  से आपको अपने आहार में निम्नलिखित चीजो का ही इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि आप अपनी समस्या से निजात पा सके।

एंटीओक्सिडेंट वाली फल और सब्जियों का सेवन करे : 

आप खाने में उन फल और सब्जियों का उपयोग कर सकते है जिसमे एंटी ओक्सिडेंट की भरपूर मात्रा होती है जैसे ब्रोकली, पालक, गाजर, आलू, पत्तागोभी, शकरकंद, कद्दू, लाल अंगूर, नाशपाती, अमरुद संतरा, आम, खरबूज, पपीता।

यह सभी फल तथा सब्जिया हानिकारक पधार्थो से शरीर को सुरक्षा प्रदान करते है। इस तरह के पदार्थ हमारे शरीर में या एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के दौरान होने वाली सुजन का मुख्य कारण होते है।

ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन करे :

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या के दौरान हमें तरल पदार्थो का सेवन करना अति आवश्यक हो जाता है। क्युकी शरीर में पानी की कमी से यह समस्या गंभीर रूप से बढ़ सकती है।

दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना जरुरी होता है। इसके अलावा आप अनार का जूस, नारियल पानी, संतरे के रस, का सेवन कर सकते है जो आपके शरीर में ऊर्जा की मात्रा को बढाते है।

Omega 3 Fatty Acid :

इस तरह के एसिड शाकाहारी और मासाहारी दोनों आहार में पाया जाता है। ख़ास रूप से यह Salmon, herring, trout, anchovies, फिश में अधिक मात्र में पाया जाता है।  यह शरीर की कोशिकाओ में पहुच कर उन्हें कार्य करने के लिए एक्टिव करता है और शरीर की इम्युनिटी को बढ़ावा देता है जोकि एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लिए फायदेमंद है।

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लिए कुछ महत्पूर्ण एक्सरसाइज (Exercise For Ankylosing spondylitis)

Cat / Cow पोजीसन :

इस अवस्था में आप दोनों पैरो को पीछे मोड़कर आगे दोनों हाथो की हथेलियों को जमीं पर चिपका लें और एक Cow मुद्रा में हो जाए। अगले स्टेप में आपको अपने गर्दन को ऊपर और फिर निचे मूव करना है। इस तरह से आपको 5 से 10 बार करना है। हर दिन आप इस प्रक्रियो को छमता के अनुसार बढ़ा सकते है।

Cobra पोजीसन : 

 इस एक्सरसाइज़ में आपको पेट के बल लेट जाना है, और फिर अपने दोनों पैरो के अंगूठे  को पीछे की तरफ स्ट्रेच करना है। अगले स्टेप में आपको हथेलियों  को जमीन पर चिपका कर खुद को ऊपर उठाना है अपनी छमता के अनुसार कुछ टाइम तक इस अवस्था में रहें। और फिर रिलैक्स अवस्था में आकर फिर से इसे दोहराए। 

तैराक करना : 

स्विमिंग एक ऐसी एक्सरसाइज़ है जिसके दौरान आपको पूरी बॉडी मूव करती है और इससे शरीर की हर मसल्स को फायदा पहुचता है जिस कारण यह एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लिए भी फायदेमंद है। 

गहरी सांस लेना : 

एक  योग अवस्था में बैठ कर गहरी सांस लेना। यह एक्सरसाइज़ आपके एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस में होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाती है। 

निष्कर्ष 

इस आर्टिकल के अंत तक आपने एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के बारे में विस्तार से जाना। इस आर्टिकल के माध्यम से अनेको उपचार के साथ उपाय सुझावित किये गए है जिनको अपने daily routine में अपनाकर इस समस्या को काफी हद कम कर सकते है, जिससे आपको दर्द में राहत मिलेगी। अपने अन्य सवालों के लिए Dr. Anuj Chawla से सम्पर्क्क करें और कमेंट करना ना भूले।

FAQ 

क्या एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस ठीक हो सकता है?

एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस का अभी तक कोई पूर्ण रूप से इलाज संभव नहीं हो पाया है लेकिन आप अपने जीवन में कुछ बातो का ध्यान रखकर इसे कम कर सकते है।

एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लिए कौनसा जीवाणु जिम्मेदार है?

क्लेबसियेला जीवाणु 

एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

अपने डेली रूटीन में एक्सरसाइज़ और एंटीओक्सिडेंट फल और सब्जियों का शामिल करे।