डायबिटिक फुट (Diabetic Foot) एक गंभीर समस्या है जो मधुमेह से पीड़ित लोगों में अक्सर देखी जाती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पैर के नर्व्स और रक्त प्रवाह पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे पैर में घाव, अल्सर, और संक्रमण हो सकते हैं। अगर इसे समय पर नहीं रोका गया, तो स्थिति गंभीर हो सकती है और पैरों को काटने की नौबत भी आ सकती है। 

डायबिटिक फुट की सही जानकारी और सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। मधुमेह के मरीजों के लिए यह जानना आवश्यक है कि डायबिटिक फुट का समय पर निदान और उपचार उनके जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में कितना महत्वपूर्ण हो सकता है।

डायबिटिक फुट के प्रकार (Types of Diabetic Foot in Hindi)

  1. न्यूरोपैथिक फुट (Neuropathic Foot)

न्यूरोपैथिक फुट तब होता है जब उच्च रक्त शर्करा के कारण पैरों की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस स्थिति में पैर सुन्न हो जाते हैं और उनमें दर्द का अनुभव नहीं होता, जिससे चोट या घाव का पता नहीं चलता। यह स्थिति पैर में छोटे-मोटे घावों को भी बढ़ाकर गंभीर घावों में बदल सकती है, क्योंकि मरीज को दर्द का अनुभव नहीं होता और इसलिए वे चोटों पर तुरंत ध्यान नहीं देते। यह स्थिति आमतौर पर उन मरीजों में देखी जाती है जिनका ब्लड शुगर लंबे समय तक अनियंत्रित रहता है।

  1. इस्चेमिक फुट (Ischemic Foot)

इस प्रकार में रक्त प्रवाह में कमी आती है, जिससे पैर के टिश्यूज तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती। यह स्थिति गंभीर होती है और इसके कारण पैरों में घाव और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस्चेमिक फुट के मरीजों को आमतौर पर चलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है और उनके पैरों में ठंडक महसूस हो सकती है। पैरों की त्वचा का रंग बदलना, खासकर नीला या बैंगनी हो जाना, इस स्थिति का प्रमुख संकेत हो सकता है।

  1. मिश्रित प्रकार (Mixed Type)

यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब मरीज में न्यूरोपैथिक और इस्चेमिक दोनों प्रकार के लक्षण मौजूद होते हैं। यह सबसे खतरनाक प्रकार है और इसका इलाज बहुत जटिल हो सकता है। मिश्रित प्रकार के डायबिटिक फुट में मरीज को अत्यधिक दर्द, सुन्नता, और घावों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। ऐसे मरीजों को विशेष देखभाल और लगातार चिकित्सा निगरानी की आवश्यकता होती है।

डायबिटिक फुट के कारण (Causes of Diabetic Foot in Hindi)

  1. उच्च रक्त शर्करा स्तर

जब ब्लड शुगर स्तर लंबे समय तक उच्च रहता है, तो यह नसों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे डायबिटिक फुट का खतरा बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा न केवल नसों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह रक्त प्रवाह में भी रुकावट पैदा कर सकता है, जिससे पैरों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।

  1. नर्व डैमेज (Nerve Damage)

नर्व्स का डैमेज होने पर पैरों में दर्द का एहसास कम हो जाता है, जिससे छोटी-मोटी चोटें भी गंभीर रूप ले सकती हैं। नर्व डैमेज का परिणाम यह हो सकता है कि मरीज को पैर में चोट लगने पर तुरंत पता नहीं चलता, जिससे घावों का संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

  1. रक्त प्रवाह में कमी

मधुमेह के कारण रक्त प्रवाह में कमी हो जाती है, जिससे पैर के टिश्यूज को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता और वे संक्रमित हो सकते हैं। रक्त प्रवाह की कमी के कारण पैरों में चोट का ठीक होना धीमा हो जाता है, जिससे घावों का बढ़ने और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

  1. संक्रमण का खतरा

मधुमेह से पीड़ित लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे पैरों में घाव और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। संक्रमण के कारण घाव जल्दी ठीक नहीं होते और यह स्थिति गंभीर हो सकती है, जिससे गहरी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

डायबिटिक फुट के लक्षण (Symptoms of Diabetic Foot in Hindi)

  1. असहनीय दर्द

पैरों में अचानक तेज दर्द होना एक सामान्य लक्षण है, खासकर चलने या खड़े होने पर। इस दर्द का कारण नर्व डैमेज या रक्त प्रवाह की कमी हो सकता है, जो डायबिटिक फुट के प्रमुख लक्षण हैं। अगर दर्द लंबे समय तक बना रहता है, तो यह संक्रमण या गंभीर घाव का संकेत हो सकता है।

  1. सूजन और लालिमा

पैरों में सूजन और लालिमा होना डायबिटिक फुट का संकेत हो सकता है, जो संक्रमण का भी कारण हो सकता है। सूजन और लालिमा के साथ अगर तापमान बढ़ा हुआ महसूस हो, तो यह संक्रमण का स्पष्ट संकेत हो सकता है।

  1. पैरों में सुन्नता

पैरों में सुन्नता या झनझनाहट का एहसास होना, खासकर लंबे समय तक बैठे रहने या खड़े रहने के बाद। यह संकेत है कि पैर की नसें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिससे पैर के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है, क्योंकि मरीज को चोट या घाव का पता नहीं चलता।

  1. घाव और अल्सर का विकास

पैरों में घाव या अल्सर का विकास हो जाना, जो लंबे समय तक ठीक नहीं होता, डायबिटिक फुट का एक गंभीर लक्षण है। अल्सर का विकास नर्व डैमेज और रक्त प्रवाह की कमी के कारण होता है, और इसका ठीक होना कठिन होता है।

  1. संक्रमण के संकेत

घाव में मवाद आना, बदबू आना, और घाव के चारों ओर लालिमा बढ़ना संक्रमण के संकेत हो सकते हैं। अगर संक्रमण का सही समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह पूरे पैर में फैल सकता है और स्थिति को और भी गंभीर बना सकता है।

डायबिटिक फुट का निदान (Diagnosis of Diabetic Foot in  Hindi)

  1. चिकित्सकीय परीक्षण

डायबिटिक फुट का निदान करने के लिए डॉक्टर पैरों का फिजिकल एग्जामिनेशन करते हैं और आवश्यक टेस्ट्स का सुझाव देते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर पैरों की नर्व्स और रक्त वाहिकाओं की स्थिति का भी मूल्यांकन करते हैं, ताकि निदान सटीक हो सके।

  1. बायोप्सी और रक्त परीक्षण

संक्रमण की स्थिति में बायोप्सी और रक्त परीक्षण किए जाते हैं ताकि स्थिति का सही मूल्यांकन किया जा सके। यह परीक्षण घाव के प्रकार और संक्रमण की गंभीरता का पता लगाने में मदद करते हैं।

  1. डॉपलर अल्ट्रासाउंड और एंजियोग्राफी

रक्त प्रवाह की स्थिति जांचने के लिए डॉपलर अल्ट्रासाउंड और एंजियोग्राफी जैसी प्रक्रियाएं की जाती हैं। ये टेस्ट यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि रक्त प्रवाह में कोई अवरोध है या नहीं, और अगर है, तो उसकी गंभीरता क्या है।

डायबिटिक फुट का उपचार (Treatment for Diabetic Foot in Hindi)

  1. दवाओं का उपयोग

संक्रमण को रोकने और घावों को भरने के लिए एंटीबायोटिक्स और एंटीसेप्टिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं, जिससे घाव का जल्दी ठीक होना संभव होता है।

  1. इंसुलिन थेरेपी

ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन थेरेपी दी जाती है, जिससे स्थिति में सुधार होता है। इंसुलिन का सही उपयोग ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है, जिससे घावों का ठीक होना तेज हो जाता है।

  1. फुट केयर (Foot Care)

पैरों की देखभाल, सही जूतों का चयन, और नियमित साफ-सफाई से डायबिटिक फुट की स्थिति को सुधारा जा सकता है। इसके अलावा, घावों को साफ और सूखा रखना और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना भी आवश्यक है।

  1. सर्जरी के विकल्प

गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है, जिसमें संक्रमण वाले हिस्से को हटाया जाता है। सर्जरी के माध्यम से घाव को ठीक करने और संक्रमण को रोकने का प्रयास किया जाता है, जिससे स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।

  1. संक्रमण का इलाज

संक्रमण की स्थिति में एंटीबायोटिक थेरेपी और संक्रमण वाले हिस्से की साफ-सफाई आवश्यक होती है। अगर संक्रमण गंभीर हो, तो हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ सकता है और इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जा सकता है।

डायबिटिक फुट की रोकथाम (Prevention of Diabetic Foot in Hindi)

  1. नियमित ब्लड शुगर मॉनिटरिंग

ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना डायबिटिक फुट की रोकथाम में सबसे महत्वपूर्ण कदम है। ब्लड शुगर के नियमित मॉनिटरिंग से स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सकता है और डायबिटिक फुट के खतरे को कम किया जा सकता है।

  1. पैरों की सही देखभाल

पैरों को रोजाना धोना, मॉइस्चराइज़र का उपयोग करना, और सही जूतों का चयन करना जरूरी है। इसके अलावा, पैरों को नियमित रूप से जांचना और छोटे-मोटे घावों को तुरंत ठीक करना आवश्यक है।

  1. आरामदायक जूतों का चयन

आरामदायक और सही फिटिंग वाले जूते पहनने से पैर में चोट या घाव का खतरा कम होता है। जूतों का चयन करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे पैरों को पूरी तरह से कवर करें और उनमें कोई दबाव न बने।

  1. नियमित व्यायाम

नियमित व्यायाम से रक्त प्रवाह में सुधार होता है और पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। व्यायाम के माध्यम से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि ब्लड शुगर भी नियंत्रित रहता है।

  1. संक्रमण से बचाव के उपाय

पैरों में किसी भी तरह की चोट या कट लगने पर तुरंत उपचार करना और संक्रमण से बचने के उपाय अपनाना जरूरी है। संक्रमण से बचाव के लिए पैरों को साफ और सूखा रखना चाहिए, और घावों को समय पर ठीक करना आवश्यक है।

जब डॉक्टर से संपर्क करें

कब आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?

अगर पैर में घाव ठीक नहीं हो रहा हो, सूजन बढ़ रही हो, या संक्रमण के संकेत नजर आ रहे हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा, अगर पैरों में अत्यधिक दर्द, सुन्नता, या जलन हो रही हो, तो इसे नजरअंदाज न करें।

अलार्मिंग लक्षण जिन पर ध्यान देना चाहिए

पैरों में असहनीय दर्द, अल्सर, या सुन्नता जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ये गंभीर स्थिति के संकेत हो सकते हैं और समय पर इलाज आवश्यक होता है।

निष्कर्ष

डायबिटिक फुट एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन सही देखभाल, समय पर निदान, और उचित उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। डॉ. अनुज चावला और उनके अस्पताल सक्षम ऑर्थो (Saqsham Ortho) में डायबिटिक फुट की देखभाल और उपचार के लिए विशेषज्ञता प्राप्त है। उचित मार्गदर्शन और उपचार से इस समस्या को जीवनभर के लिए नियंत्रित किया जा सकता है। 

 डायबिटिक फुट से बचाव के लिए नियमित ब्लड शुगर मॉनिटरिंग, सही फुट केयर, और समय पर चिकित्सा परामर्श बेहद जरूरी हैं। इन उपायों को अपनाकर डायबिटिक मरीज अपनी जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाए रख सकते हैं और गंभीर जटिलताओं से बच सकते हैं।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

1. डायबिटिक फुट क्या होता है?

डायबिटिक फुट एक ऐसी स्थिति है जिसमें मधुमेह के कारण पैरों में घाव, संक्रमण, और अल्सर होते हैं।

2. डायबिटिक फुट के लक्षण क्या हैं?

असहनीय दर्द, सूजन, सुन्नता, और पैरों में घाव या अल्सर होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

3. डायबिटिक फुट का इलाज कैसे किया जाता है?

दवाओं, इंसुलिन थेरेपी, फुट केयर, और गंभीर मामलों में सर्जरी के माध्यम से इसका इलाज किया जाता है।

4. क्या डायबिटिक फुट की रोकथाम संभव है?

हां, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखकर, सही जूतों का चयन करके, और पैरों की नियमित देखभाल से इसे रोका जा सकता है।

5. डायबिटिक फुट का निदान कैसे किया जाता है?

चिकित्सकीय परीक्षण, बायोप्सी, और डॉपलर अल्ट्रासाउंड के माध्यम से इसका निदान किया जाता है।